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रियल्टी को नहीं मिल रहा ब्याज दर घटने का फायदा, उबरने में लगेगा एक साल

मुंबई नोवेल कोरोनावायरस महामारी के कारण देशभर में लागू लॉकडाउन का असर रियल एस्टेट सेक्टर पर भी काफी ज्यादा पड़ा है। लिक्विडिटी की समस्या से जुझ रहे डिवेलपर्स का कहना है कि उन्हें कम हुए इंटरेस्ट रेट का ‌फायदा बैंक नहीं दे रहे हैं। रीपो रेट में कटौती का नहीं मिल रहा फायदा! क्रेडाई ने रिजर्व बैंक को पत्र लिखकर यह शिकायत की है कि होम लोन लेने वालों और नकदी संकट से जूझ रहे डिवेलपर्स को बैंक घटी ब्याज दरों का लाभ नहीं पहुंचा रहे हैं। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास से आग्रह किया है कि वह बैंकों को यह निर्देश दें कि एनबीएफसी और एचएफसी को ब्याज दरों में हुई कटौती का लाभ पहुंचाएं। रियल एस्टेट कंपनियों को सबसे ज्यादा धन इन्हीं वित्त संस्थानों से आता है। क्रेडाई ने कहा है कि केन्द्रीय बैंक ने संकट के इस दौर में प्रणाली में नकदी बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। रिजर्व बैंक ने कर्ज सस्ता करने के लिए रीपो रेट में दो बार कटौती की है। रिवर्स रीपो रेट में भी काफी कमी आई है, लेकिन इसका फायदा किसी को नहीं मिल नहीं रहा। रियल एस्टेट को उबरने में लगेगा एक साल कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डिवेलपर्स असोसिएशंस ऑफ इंडिया (क्रेडाई) और महाराष्ट्र चैंबर्स ऑफ हाउसिंग इंडस्ट्री (एमसीएचआई) ने अपनी एक सर्वे रिपोर्ट में खुलासा किया है कि केवल 30 प्रतिशत रियल एस्टेट डिवेलपर्स को उम्मीद है कि रियल एस्टेट से जुड़ी कारोबारी गतिविधियां लॉकडाउन हटने के बाद 6 महीने के भीतर सामान्य तरीके से होने लगेंगी। इस रिपोर्ट को 500 रियल एस्टेट डिवेलपर्स के विचारों के आधार पर तैयार किया गया है। रिपोर्ट में यह बात भी कही गई है कि 60 प्रतिशत रियल एस्टेट डिवेलपर्स मानते हैं कि लॉकडाउन पूरी तरह से हटने के बाद भी रियल एस्टेट से जुड़ा कारोबार सामान्य तरीके से होने में 9 महीने से लेकर 1 साल तक लगेगा। कारोबार नहीं बदलेंगे इसके बावजूद रिपोर्ट में कहा गया है कि 83 प्रतिशत रियल एस्टेट कारोबारी इस कारोबार को आगे जारी रखना चाहते हैं न कि इसे बंद करना चाहते हैं। इतना ही नहीं करीब 50 प्रतिशत डिवेलपर्स सही कीमत मिलने पर नई खरीदने और 2021 में रेसिडेंशल प्रॉजेक्ट शुरू करने को तैयार हैं। क्रेडाई-एमसीएचआई के प्रेजिडेंट नयन शाह ने कहा कि यह सर्वे ऐसे अहम मौके पर की गई है जब रियल एस्टेट उद्योग देश के दूसरे अन्य उद्योगों की तरह ही संघर्ष कर रहा है। अधिकांश डेवलपर्स (83 प्रतिशत) मुश्किल समय के बावजूद रियल एस्टेट कारोबार को नहीं छोड़ना चाहते हैं जो हमारे उद्योग में जुझारूपन और आत्मविश्वास को दर्शाता है।


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