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RERA: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कितना ताकतवर है रेरा, जानिए कैसे घर खरीदारों को होता है फायदा

नई दिल्ली RERA: केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि गृह क्रेताओं के लिए एक मजबूत नियामक तंत्र मौजूद है और भू-संपदा विनियामक अधिनियम (रेरा) के प्रावधानों के तहत 'बिक्री के लिए समझौते' का मसौदा पहले ही निर्धारित किया जा चुका है जो घर खरीदारों और प्रवर्तकों के अधिकारों तथा हितों को जवाबदेह एवं पारदर्शी तरीके से संतुलित करने का प्रयास करता है। केंद्र ने उस याचिका पर शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दायर किया है जिसमें ग्राहकों की सुरक्षा के लिए बिल्डर और एजेंट खरीदारों के लिए आदर्श समझौता व्यवस्था तैयार करने और भू-संपदा विनियामक अधिनियम (रेरा) 2016 के अनुरूप रियल्टी क्षेत्र में पारदर्शिता लाने का निर्देश दिए जाने का आग्रह किया गया है। इसने कहा, "एक मजबूत नियामक तंत्र है और रेरा के प्रावधानों के तहत 'बिक्री के लिए समझौते' का मसौदा पहले ही निर्धारित किया जा चुका है, जो जवाबदेह और पारदर्शी तरीके से घर खरीदारों तथा प्रवर्तकों के अधिकारों और हितों को संतुलित करने का प्रयास करता है।" केंद्र सरकार ने कहा कि वह सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ रेरा के लागू होने के बाद 2016 में ही 'बिक्री के लिए समझौते' के मसौदे को साझा कर चुकी है और वर्तमान में, सभी राज्य तथा केंद्रशासित प्रदेश रेरा के तहत नियमों को अधिसूचित कर चुके हैं, सिर्फ नगालैंड को छोड़कर जिसके साथ केंद्र चर्चा कर रहा है। इसने कहा, "यह इस अदालत के संज्ञान में लाया जाना चाहिए कि 2014 से पहले भू-संपदा क्षेत्र काफी हद तक अनियमित था। रेरा के नियामक तंत्र के तहत, ऐसी चल रहीं परियोजनाओं को रेरा के तहत पंजीकृत होने की आवश्यकता है जिन्हें पूर्णता प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं हुआ है।" हलफनामे में कहा गया है कि रेरा विज्ञापन, विपणन, बुकिंग, बिक्री से पहले परियोजनाओं के पंजीकरण को अनिवार्य बनाता है और कानून अचल संपत्ति परियोजनाओं की समय पर प्रदायगी सुनिश्चित करता है। इसने कहा कि रेरा विवादों के त्वरित निपटारे के माध्यम से उचित लेनदेन, समय पर वितरण और गुणवत्ता निर्माण के महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान करता है, इस प्रकार यह घर खरीदारों को सशक्त बनाता है। शीर्ष अदालत ने अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर आठ नवंबर को सुनवाई करते हुए कहा था कि भू-संपदा क्षेत्र में एक आदर्श बिल्डर-खरीदार समझौता व्यवस्था की आवश्यकता है तथा केंद्र को इस मुद्दे पर अपना जवाब दाखिल करना चाहिए क्योंकि यह जनहित से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मामला है। उपाध्याय ने कहा था कि केंद्र द्वारा एक आदर्श समझौता व्यवस्था तैयार की जानी चाहिए क्योंकि कुछ राज्यों में यह है और कुछ राज्यों में नहीं है तथा उन समझौतों में एकरूपता नहीं है।


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