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पोंटी चड्ढा के वेव ग्रुप,3C जैसे बिल्डर ने उधारी पर ले ली 80 फीसदी जमीन, नोएडा अथॉरिटी को लगाया कुल 52,000 करोड़ का चूना

नई दिल्ली नोएडा अथॉरिटी और बिल्डरों के घालमेल ने दिल्ली के पास के इस इलाके के लाखों फ्लैट बायर को सड़क पर लाकर छोड़ दिया है। क्या आप जानते हैं कि इसकी वजह क्या है? और बिल्डरों के बड़े-बड़े सपने की वजह से दिल्ली एनसीआर के लाखों ग्राहकों के अरबों रुपये नोएडा के प्रोजेक्ट में फंसे हुए हैं। नोएडा अथॉरिटी अधिकारियों और बिल्‍डर्स ने मिलीभगत से जमीन अधिग्रहण, आवंटन और मंजूरियों में नियमों की जमकर अनदेखी की। सीएजी का आंकलन है कि अधिकारियों की करतूतों के चलते नोएडा अथॉरिटी को कुल 52,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने इसे रियल एस्‍टेट डिवेलपर्स के लिए स्‍वर्ग बना दिया क्‍योंकि केवल 18% जमीन का इस्‍तेमाल ही इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट के लिए हुआ। यह भी पढ़ें: नोएडा में पोंटी चड्ढा के वेव ग्रुप, 3c और लाजिक्स ग्रुप जैसे बिल्डर्स ने कमर्शियल लैंड अलॉटमेंट का 80 फ़ीसदी हिस्सा अपने नाम करवाने में सफलता हासिल की। साल 2005 से 2018 के बीच तीनों बिल्डर ने नोएडा अथॉरिटी से उधारी पर कमर्शियल लैंड का 80 फ़ीसदी अपने नाम करवा लिया। मार्च 2020 तक भी इन तीनों बिल्डर पर नोएडा अथॉरिटी का 14000 करोड़ रुपये का बकाया है। भारत के कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि नोएडा अथॉरिटी के संबंधित अधिकारियों ने इस मामले में अपनी जिम्मेदारी का सही तरीके से निर्वाह नहीं किया और बिल्डर पर कड़ी कार्रवाई करने में विफल रहे। साल 2005 से 2018 के बीच कमर्शियल लैंड का करीब 80 फ़ीसदी पोंटी चड्ढा के वेव ग्रुप, 3सी और लाजिक्स ग्रुप जैसी कंपनियों को अलॉट कर दिया गया। नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने इसके लिए नियम एवं शर्तों का भी उल्लंघन किया। सीएजी की रिपोर्ट में बताया गया है कि वेव ग्रुप को 2008 से 2010 के बीच 6.63 लाख वर्ग मीटर जमीन का आवंटन किया गया। साल 2010-11 में लॉजिक्स ग्रुप को 10.76 लाख स्क्वायर मीटर जमीन का आवंटन हुआ जबकि 3C को 2010 और 2014 के बीच में 21.71 लाख वर्ग मीटर जमीन का आवंटन किया गया। इस अवधि में नोएडा अथॉरिटी ने कुल 49 लाख वर्ग मीटर जमीन का कमर्शियल कैटेगरी में आवंटन किया जिसमें से 39 लाख वर्ग मीटर जमीन इन्हीं तीनों कंपनियों को दे दी गई। इस जमीन के लिए तीनों कंपनियों को ₹15700 करोड़ की रकम चुकानी थी जिसमें से 31 मार्च 2020 तक नोएडा अथॉरिटी का इन कंपनियों पर ₹15000 करोड़ का बकाया है। प्रोजेक्ट पर नजर नहीं दिलचस्प तथ्य यह है कि वेब ग्रुप पहले ही नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में जाकर अपने प्रोजेक्ट को पूरा करने में विफलता की बात स्वीकार कर चुकी है। 3C और लाजिक्स ग्रुप ने अपनी जमीन का अधिकतर हिस्सा थर्ड पार्टी को डेवलपमेंट के लिए लीज पर दे दिया है। नोएडा अथॉरिटी ने किसी प्रोजेक्ट को तय समय पर कंप्लीट करने के लिए बिल्डर की योग्यता से संबंधित कोई शर्त नहीं रखी थी। इसके अलावा अथॉरिटी के अधिकारियों ने एक ही रियल्टी ग्रुप को कई प्लॉट का आवंटन कर दिया, इस वजह से आवंटित किए गए 16 प्लॉट में से 12 प्रोजेक्ट नवंबर 2020 तक पूरे नहीं किए जा सके थे। सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि नोएडा अथॉरिटी इन प्रोजेक्ट पर होने वाले कामकाज को मॉनिटर करने में भी असफल रही। पहली बार अथॉरिटी का ऑडिट सीएजी ने दिल्‍ली से सटे नोएडा का पहला बार परफॉर्मेंस ऑडिट किया है। यह ऑडिट 2005-06 से लेकर 2017-18 की अवधि के बीच का है। अपने ऑडिट में सीएजी ने पाया कि नोएडा ने जमीनों की प्‍लानिंग, अधिग्रहण, कीमत तय करने और आवंटन में कई गड़बड़‍ियां कीं। सीएजी ने नोएडा बोर्ड, उसके प्रबंधन और अधिकारियों की नाकामी को उजागर किया है। ग्रेटर नोएडा पर भी सीएजी की ऐसी ही एक रिपोर्ट जल्‍द विधानसभा में रखी जाएगी। यह भी पढ़ें:


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