
ग्रेटर नोएडा आम्रपाली के 11403 फ्लैट बायर्स को महज 6 महीने में फ्लैट मिल सकते हैं। नैशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन लिमिटेड () ने कोर्ट के आदेश के बाद आम्रपाली के प्रॉजेक्ट को 3 कैटिगरी में बांटा है। ए कैटिगरी की अधिकतर परियोजनाएं नोएडा की हैं। इनमें लिफ्ट, एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट), पुताई, लीकेज, फायर फाइटिंग सिस्टम आदि का काम ही बाकी है। बी कैटिगरी में 32,384 फ्लैट्स आएंगे। यहां काफी काम अधूरा है। यहां औपचारिकताएं पूरी करने में ही करीब 2 महीने लग जाएंगे। सबसे खराब हालत सी कैटिगरी के प्रॉजेक्ट की है। ग्रेटर नोएडा की 2 परियोजनाओं को इसमें रखा गया है। यहां अभी नींव स्तर का ही काम हुआ है। बी और सी कैटिगरी की परियोजनाओं को पूरा करने में सबसे ज्यादा वक्त लगेगा। बायर्स के वकील कुमार मिहिर ने बताया कि एनबीसीसी का दावा है काम शुरू होने के 3 साल के भीतर दोनों कैटिगरी के सभी फ्लैट का पजेशन दे दिया जाएगा। आम्रपाली मामले में 23 जुलाई को ने बिल्डर की जमीन की लीज डीड रद्द करने का आदेश दिया था। इससे एक तरफ अधूरे प्रॉजेक्ट को पूरा करने की राह दिखी है, वहीं दूसरी तरफ पूरे हो चुके प्रॉजेक्ट की रजिस्ट्री का रास्ता खुला है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि सीसी (कंप्लीशन सर्टिफिकेट) दिया जाए। इससे फ्लैट में रहने वाले रजिस्ट्री करा सकेंगे। बायर्स से बकाया लेकर प्रॉजेक्ट पूरा कराने की बात कही गई है, लेकिन यह काफी कम है। नोएडा के 7 प्रॉजेक्ट पूरे करने के लिए करीब 1328 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। वहीं ग्रेटर नोएडा के 5 अधूरे प्रॉजेक्ट पूरे कराने के लिए करीब 7741 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। इसके अलावा एनबीसीसी का कमीशन 774.17 करोड़ रुपये होगा। यहां से फंड जुटाने का प्लान
- -3624 करोड़ रुपये होम बायर्स से
- -3152 करोड़ रुपये दूसरी कंपनियों को डायवर्ट किए गए
- -152 रुपये करोड़ प्रफेशनल फी के रूप में हुई फर्जी पेमेंट
- -842.42 करोड़ रुपये मटीरियल सप्लायरों को फर्जी पेमेंट
- -14.94 करोड़ रुपये अघोषित कैश डिपॉजिट व जूलरी से
- -11320 करोड़ रुपये का फंड जुटाया जा सकता है विभिन्न मदों से
- -2658 करोड़ रुपये अनसोल्ड प्रॉपर्टी बेचकर जुटाए जा सकते हैं
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