Skip to main content

सर्कल रेट: बजट 2020 में 10% की राहत के ऐलान का आप पर क्या होगा असर?

आदिल शेट्टी मकान खरीदते समय नेगोशिएशन या मोलभाव की एक अहम भूमिका होती है। यदि आप होम लोन के लिए अप्लाई कर रहे हैं तो आप कर्जदाता के साथ बेहतर लोन शर्तों के लिए मोलभाव या बातचीत कर सकते हैं और प्रॉपर्टी का चुनाव करते समय आप डिवेलपर के साथ रेट कन्सेशन या छूट के लिए मोलभाव कर सकते हैं। इससे पहले, जब खरीदार एक डिवेलपर के साथ मोलभाव या बातचीत करता था, उस समय प्रॉपर्टी की कीमत को कानूनी प्रतिबंधों के कारण लागू से कम नहीं किया जा सकता था। जिन लोगों को इसके बारे में पता नहीं है उन्हें बता दें कि किसी इलाके में प्रचलित मिनिमम प्रॉपर्टी रेट को सर्कल रेट कहा जाता है। इसका निर्धारण अधिकारियों द्वारा किया जाता है। लेकिन, बजट 2018 में सरकार ने इसमें 5% की राहत दी। कहने का मतलब यह है कि लागू सर्कल रेट से 5% तक कम मूल्य पर लेनदेन की अनुमति दी गई। बजट 2020 में, इस नियम में और 10% की राहत दी गई ताकि मुख्य रूप से देश के डिवेलपरों को दिन-पर-दिन अपनी तैयार प्रॉपर्टी की बढ़ती संख्या को जल्द से जल्द बेचकर क्लियर करने में मदद मिल सके। इन्हें बेचने में उन्हें रियल एस्टेट सेक्टर को नुकसान पहुंचाने वाली कम डिमांड के कारण बड़ी परेशानी हो रही है। इसे और बेहतर तरीके से समझने के लिए, आइए पहले यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि सर्कल रेट से कम रेट पर प्रॉपर्टी का लेनदेन होने पर क्या होता है। प्रॉपर्टी की वैल्यू और सर्कल रेट प्रॉपर्टी की स्टाम्प ड्यूटी और कैपिटल गेन्स टैक्स का निर्धारण उसकी सेल वैल्यू के आधार पर की जाती है। 2018 से पहले स्टाम्प ड्यूटी का निर्धारण करने के लिए इस वैल्यू को उस इलाके में लागू सर्कल रेट से नीचे जाने की इजाजत नहीं दी जाती थी। स्टाम्प ड्यूटी की गणना, सर्कल रेट या विक्रय मूल्य में से जो अधिक होता था उसके आधार पर की जाती थी। उदाहरण से समझिए। मान लीजिए कि सर्कल रेट के आधार पर एक प्रॉपर्टी का मूल्य 30 लाख रुपये था जबकि प्रॉपर्टी का वास्तविक मूल्य 29 लाख रुपये था। ऐसी परिस्थिति में स्टाम्प ड्यूटी की गणना 30 लाख रुपये के आधार पर की जाती थी, जिससे खरीदार के पास प्रॉपर्टी के वास्तविक मूल्य से 1 लाख रुपये ज्यदा कीमत के आधार पर स्टाम्प ड्यूटी देने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था। दूसरी तरफ, विक्रेता को सर्कल रेट या बिक्री दर में से जो अधिक होता था उसके आधार पर कैपिटल गेन्स टैक्स की गणना करनी पड़ती थी। इसलिए इस मामले में उसे 30 लाख रुपये के विक्रय मूल्य के आधार पर निकाले गए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) पर टैक्स देना पड़ता था। इस तरह, इस मामले में विक्रेता को भी ज्यादा LTCG टैक्स देने का बोझ उठाना पड़ता था। सर्कल रेट से कम प्रॉपर्टी के लेनदेन के लिए नियमों में राहत पहले, बजट 2018 में यह माना जाता था कि प्रॉपर्टी को लागू सर्कल रेट से 5% कम कीमत पर बेचा जा सकता था। कहने का मतलब है कि यदि एक इलाके में एक प्रॉपर्टी का मूल्य 30 लाख रुपये हो तो प्रॉपर्टी का लेनदेन 28.5 लाख रुपये या उससे अधिक मूल्य पर हो सकता है और स्टाम्प ड्यूटी के साथ-साथ LTCG टैक्स की गणना भी इस घटे हुए मूल्य पर ही की जाएगी। अब बजट 2020 में, सरकार ने इस नियम में थोड़ी और राहत देते हुए प्रॉपर्टी के मूल्य को सर्कल रेट से 10% तक नीचे ले जाने की अनुमति दी। इस तरह, यदि किसी इलाके में वहां चल रहे सर्कल रेट के अनुसार किसी प्रॉपर्टी का मूल्य 30 लाख रुपये है तो प्रॉपर्टी का लेनदेन 27 लाख रुपये या उससे ज्यादा मूल्य पर किया जा सकता है। स्टाम्प ड्यूटी के साथ-साथ LTCG टैक्स की गणना इस घटे हुए मूल्य पर की जाएगी। कुल मिलाकर, सर्कल रेट से कम मूल्य पर लेनदेन करने की इजाजत देने से लेनदेन की लागत कम हो जाती है और इससे घर खरीदने वाले और बेचने वाले, दोनों को फायदा हो सकता है। प्रभाव का विश्लेषण: सर्कल रेट से 10% तक कम रेट पर प्रॉपर्टी का मूल्य निर्धारण आप ऊपर दिए गए टेबल में देख सकते हैं, 'मामला-II' की कुल लेनदेन लागत जिसमें प्रॉपर्टी का मूल्य, लागू सर्कल रेट से 10% कम था, 'मामला-I' से 78,000 रुपये कम थी जिसमें यह माना गया था कि प्रॉपर्टी को लागू सर्कल रेट पर बेचा गया था। सर्कल रेट पर 10% की राहत देना जरूरी क्यों? राज्य सरकार समय-समय पर सर्कल रेट निर्धारित करती रहती है। मंदी के कारण, वास्तविक प्रॉपर्टी रेट कई जगहों में चल रहे सर्कल रेट्स से नीचे गिर गया है लेकिन डिवेलपर्स अपनी प्रॉपर्टी को डिस्काउंट रेट पर बेचने में सक्षम नहीं थे क्योंकि वे डबल नुकसान उठाना नहीं चाहते थे। यानी वे प्रॉपर्टी को डिस्काउंट रेट पर बेचने के साथ-साथ सर्कल रेट के आधार पर LTCG टैक्स देना (यानी सर्कल रेट से 5% तक कम) नहीं चाहते थे। इसी तरह, खरीदार भी इसके इच्छुक नहीं थे क्योंकि यदि वे डिवेलपर से सर्कल रेट पर डिस्काउंट पर भी प्रॉपर्टी खरीदते हैं तब भी वे ज्यादा स्टाम्प ड्यूटी देना नहीं चाहते थे। इसलिए, रियल्टी मार्केट में राहत देने के लिए सरकार ने लेनदेन के मूल्य में सर्कल रेट से 10% तक कम की राहत देने का प्रस्ताव रखा। सर्कल रेट से 10% तक कम मूल्य पर प्रॉपर्टी का लेनदेन करने की इजाजत देने से लेनदेन की लागत कम होने से घर खरीदने वालों के साथ-साथ डिवेलपरों को भी थोड़ी राहत मिलेगी। (इसके लेखक BankBazaar.comके CEO हैं)


from प्रॉपर्टी समाचार, रियल एस्टेट खबरें, Real Estate India, Property News https://ift.tt/2Pl25Ht

Comments

Popular posts from this blog

German cabinet to hold secret session on Huawei#39;s role in 5G network: Report

Huawei faces international scrutiny over its ties with the Chinese government and suspicion that Beijing could use Huawei#39;s technology for spying, which the company denies. from Moneycontrol Business News http://bit.ly/2TyXzFb

List of tax defaulters to be published from Friday: Kiran Bedi

Bedi had said the government would publish the names of defaulters in newspapers and also announce them on FM radio channels. from Moneycontrol Business News https://ift.tt/2yToJRc

List of tax defaulters to be published from tomorrow: Kiran Bedi

Bedi had said the government would publish the names of defaulters in newspapers and also announce them on FM radio channels. from Moneycontrol Business News https://ift.tt/2yU0Uch