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रेरा से जारी RC की वसूली के लिए बिल्डरों की संपत्ति होगी नीलाम, आठ हजार बायर्स को होगा सीधा फायदा

गाजियाबाद: रेरा बिल्डर के खिलाफ आरसी (रिकवरी सर्टिफिकेट) जारी करता है लेकिन गाजियाबाद जिला प्रशासन उसेdk वसूल नहीं पाता। इसके पीछे बड़ा कारण है कि जिला प्रशासन के पास ई-नीलामी का अधिकार ही नहीं था। अब यूपी सरकार ने नियमों में संशोधन करते हुए जिला प्रशासन को ई-नीलामी का अधिकार दे दिया है। इस अधिकार के मिलने के बाद अब जिला प्रशासन रेरा की तरफ से जारी की गई आरसी के आधार पर बिल्डर की संपत्ति को जब्त करके ई-नीलामी कर सकेगा। इसके बाद बायर्स का पैसा आसानी से लौटाया जा सकेगा। खास बात यह है कि इस व्यवस्था के शुरू होने के बाद गाजियाबाद में बिल्डर के चंगुल में फंसे हुए करीब आठ से दस हजार बायर्स को इसका सीधा फायदा मिलने लगेगा। 12 हजार से अधिक बायर्स है फंसे ये सभी बायर्स सालों से बिल्डर को फ्लैट की पूरी कीमत दे चुके हैं लेकिन अभी तक उन्हें पजेशन नहीं मिला। कुछ बिल्डर तो प्रोजेक्ट को अधूरा छोड़कर फरार हो चुके हैं। बायर्स रेरा में अपील करके आरसी का ऑर्डर तो करवा लाए हैं लेकिन यह आरसी जिला प्रशासन के पास फंसी हुई है। प्रदेश सरकार के एक संशोधन से अब ऐसे सभी बायर्स को एक बार फिर राहत की उम्मीद नजर आ रही है। जीडीए की मानें तो अभी इन 18 बिल्डरों के चक्कर में गाजियाबाद के करीब 12 हजार से अधिक बायर्स फंसे हुए हैं। इनमें पांच बिल्डर्स ऐसे हैं जिन पर जीडीए ने एफआईआर तक करवा दी है लेकिन अभी वहां पर काम नहीं चल सका। ऐसे सभी प्रॉजेक्ट को सी कैटेगरी में जीडीए ने डाल रखा है। राजनगर एक्सटेंशन में वैल्यू इन्फ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड ने 2007 में मिडास विस्टा फेज-2 में 406 फ्लैटों की स्कीम लॉन्च की थी। सारे फ्लैट बुक हो गए थे। बिल्डर ने 2011 में पजेशन का वादा किया था लेकिन 1 साल बाद ही काम ठप हो गया। खरीदार बार-बार बिल्डर से संपर्क करते रहे लेकिन कुछ नहीं हुआ। मामले में बिल्डर के खिलाफ एफआईआर हुई। बिल्डर प्रमोद सिंह की गिरफ्तारी हुई लेकिन कुछ दिन बाद वह जेल से छूट गया। अब वह भूमिगत हो गया है। पांच साल से फ्लैट का इंतजार वहीं दूसरी तरफ मैसर्स मंजू जे होम्स ने राजनगर एक्सटेंशन में 1680 फ्लैट की स्कीम लॉन्च की। लगभग सभी फ्लैट बुक हुए पर पांच साल से लोग फ्लैट का इंतजार कर रहे हैं। जीडीए की ओर से एफआईआर करवाने के साथ ही कई प्रयास किए गए लेकिन अभी आवंटी के पक्ष में कोई निर्णय नहीं हो सका है। इसके अलावा एनएच-9 स्थित अतंरिक्ष सोसायटी में भी 1120 आवंटी फंसे हुए हैं और करीब 6 साल से घर का इंतजार कर रहे हैं। बकाया होने की वजह से जीडीए ने इस प्रोजेक्ट को सील कर दिया है। यूपीरेरा (UPRERA) के चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा कि शासन ने जिला प्रशासन को ई-नीलामी () का अधिकार दिया है। चुनाव के बाद जिला प्रशासन पर इस व्यवस्था के तहत बिल्डरों की संपत्तियों को नीलाम करने का दबाव बनाया जाएगा। इससे बायर्स का पैसा जल्द से जल्द लौटाया जा सकेगा।


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