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2019 के शुरुआती 9 महीनों में 59% ज्यादा हुई मकानों की बिक्री

मुंबई मकानों की बिक्री का हाल अभी भले ही अच्छा नहीं दिख रहा है, लेकिन 2017 के बाद से बिक्री लगातार बढ़ रही है। आर्थिक सुस्ती और कमजोर डिमांड के बावजूद 2019 के पहले नौ महीनों में रेजिडेंशल सेल्स 2017 की इसी अवधि के मुकाबले 59 पर्सेंट अधिक रही। 2017 तक घट रही सेल्स ने 2018 में वापस बढ़ना शुरू किया था। रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म JLL के डेटा के मुताबिक, 2019 के पहले नौ महीनों में यह आंकड़ा 1.15 लाख यूनिट पहुंच गया। इस दौरान कुछ शहरों में नोटबंदी के पहले होने वाली बिक्री का स्तर पार हो गया है। 2014 में रेजिडेंशल सेल्स में साल-दर-साल आधार पर 16 पर्सेंट की गिरावट दर्ज की गई थी। 2015 में साल-दर-साल आधार पर बिक्री चार पर्सेंट घटी थी। हालांकि, 2016 में मार्केट सेंटिमेंट में सुधार हुआ था और सेल्स में 2015 के मुकाबले लगभग एक पर्सेंट की ग्रोथ हुई थी। JLL इंडिया के चीफ इकनॉमिस्ट और रिसर्च हेड सामंतक दास ने बताया, 'इस साल कुछ शहरों ने अभी से नोटबंदी से पहले का सेल्स लेवल पार कर लिया है। मौजूदा सरकार ने पिछले दो साल में जितने रिफॉर्म किए हैं, इंडस्ट्री उनके मुताबिक तैयार हो रही है। हमें उम्मीद है कि अगला साल रेजिडेंशल मार्केट के लिए बेहतर होगा।' इस साल की अब तक की कुल सेल्स 2016 के मुकाबले कम है। हालांकि, मुंबई, हैदराबाद और पुणे में उस साल से अधिक बिक्री दर्ज की गई है। मुंबई में सेल्स इस साल की पहली तीन तिमाहियों में 2016 की इसी अवधि से 23 पर्सेंट बढ़ी है। पुणे और हैदराबाद के आंकड़ों में क्रमशः 8.3 पर्सेंट और 74 पर्सेंट इजाफा हुआ है। वहीं कोलकाता और दिल्ली-NCR में इस साल की सेल्स 2016 के मुकाबले क्रमशः 35 पर्सेंट और 26 पर्सेंट घटी है। बेंगलुरु और चेन्नै ने इस साल अब तक लगभग 2016 के स्तर पर बिक्री की है। दास ने बताया, 'नोटबंदी के 6-8 महीनों के अंदर RERA और GST जैसे रिफॉर्म्स को लागू किया गया था। इनके चलते कंपनियों को बिजनस मॉडल में बदलाव करने पड़े थे। इस कारण 2017 के पहले नौ महीनों की सेल्स 40 पर्सेंट की बड़ी गिरावट के साथ 72,300 यूनिट्स पर आ गई थी। 2016 में मिली सुधार की उम्मीद पर पानी फिर गया था।' रेजिडेंशल मार्केट ने सात साल की गिरावट के बाद फिर बढ़ना शुरू किया है। कुछ माइक्रो मार्केट्स 2019 और 2020 में बॉटम आउट हो जाएंगे। रियल एस्टेट डिवेलपर शोभा लिमिटेड का मानना है कि स्ट्रक्चरल रिफॉर्म का फायदा मिलने से रेजिडेंशल सेक्टर में मांग बढ़ेगी। कमर्शल प्रॉपर्टी में सकारात्मक रुख अर्थव्यवस्था में नरमी के रुख के बावजूद देश के कार्यालय एवं वाणिज्यिक संपत्ति बाजार में अगली छमाही को लेकर सकारात्मक रुख दिखाई दे रहा है। संपत्ति सलाहकार कंपनी नाइट फ्रैंक, डिवेलवरों के संगठन नारेडको और उद्योग मंडल फिक्की के एक त्रैमासिक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। रियल एस्टेट इंडेक्स तीसरी तिमाही-2019 सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार बाजार में 82 फीसदी कारोबारियों को नए विकसित होते कार्यालय क्षेत्र से बाजार बढ़ने की उम्मीद है। उन्हें अगले 6 महीनों में मांग में और तेजी आने की आशा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि को-वर्किंग के साथ-साथ बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा क्षेत्र (बीएफएसआई) की मांग के चलते दिल्ली-एनसीआर के कार्यालय बाजार में तेजी और किराये में बढ़त दिख सकती है। सर्वेक्षण के अनुसार कार्यालय या वाणिज्यिक संपत्ति से जुड़े कारोबारियों ने इस क्षेत्र में बिक्री बढ़ने की उम्मीद जताई है। इसी आशावादी रुख के तहत अगले छह महीनों के लिए नए कार्यालय या वाणिज्यिक संपत्ति क्षेत्र बिक्री के लिए तैयार किए गए हैं।


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